प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त ने बताई सिनेमा में साहित्य की प्रासंगिकता,कला,साहित्य और विज्ञान विकास की सीढ़ियों में पहले पायदान पर- डी आई ओ एस,आधुनिक दौर में हर आदमी के हाथ में सिनेमा है-यशवंत सिंह,बुंदेलखंड के ऐतिहासिक और पर्यटक स्थल शूटिंग के लिए महत्वपूर्ण- डॉ० चित्रगुप्त

 गिरजा शंकर अग्रवाल की रिपोर्ट - 


कोंच इंटरनेशनल फ़िल्म फेस्टिवल में सेवानिवृत्त प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त राकेश कुमार पालीवाल ने सिनेमा में साहित्य की प्रासंगिकता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि साहित्य और सिनेमा हमारे जीवन के कलात्मक पक्ष बहुत बड़े पहलू है, जैसे साहित्य को समाज का दर्पण कहा जाता उसी प्रकार सिनेमा भी समाज का अंग है। 

जिला विद्यालय निरीक्षक भगवत पटेल ने फेस्टिवल में ओजस्वी सम्बोधन देते हुए कहा कि कला साहित्य और विज्ञान विकास की सीढ़ियों में सबसे ऊंचे पायदान पर है चाहे शिक्षा हो साहित्य हो जब सोसायटी का विकास होता है तो इसमें नए आयाम जुड़ जाते है।

वरिष्ठ पत्रकार यशवंत सिंह ने कहा कि आधुनिक दौर विस्तार का दौर है फैलाव का दौर है, आज के परिवेश में हर हाथ मे सिनेमा में है वो भले ही छोटी स्क्रीन में हो पर मोबाइल के रूप में हमारे सामने है।

इतिहासकार डॉ० चित्रगुप्त ने बुंदेलखंड में पर्यटन की संभावनाओं को तलाशते हुए कहा कि बुंदेलखण्ड के ऐतिहासिक और पर्यटक स्थल फिल्मों की शूटिंग के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं।  झांसी जिले के किले, नदी और बाग बगीचे भी शूटिंग के लिए उपयोगी हैं। मोंठ क्षेत्र में मोठ सहित समथर, लोहागढ , अम्मरगढ के ऐतिहासिक स्थल और बिरहटा एवं खिरियाघाट में नदी बेतवा किनारे बहुत अच्छी लोकेशन फिल्म निर्माताओं को मिल सकती है। फेस्टिवल के संयोजक पारसमणि अग्रवाल ने सभी का आभार व्यक्त किया

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